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Vimla Jain

Others

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अंतिम समय उसने भविष्य देखा था

अंतिम समय उसने भविष्य देखा था

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कभी-कभी कुछ लोगों को अपने अंतिम समय का भगवान द्वारा संकेत मिल जाता है और वे उसको बहुत सकारात्मक रूप में स्वीकार करके अपने अंतिम समय को सुधार लेते हैं। यह कहानी एकदम सच्ची और मेरी पारिवारिक मेरे नाना जी की कहानी है।1964-65 कि बात है ।और एक दम सच्ची है।

जिसको विचार करके देखा तो मुझे ऐसा लगा की उन्होंने अपना भविष्य देखा था ।इसीलिए समय रहते अपनी सारी जवाबदारी ओं को सौंपा। वही वाकिया मैं आप लोगों के साथ में शेयर कर रही हूं ।आशा करती हूं कि पसंद आएगा और इस विषय के अनुरूप होगा।

मेरे नाना जी जोधपुर रियासत के एजी थे मतलब अकाउंटेंट जनरल थे ।

राज महल का सारा हिसाब उनके पास में रहता था। लोग उनको चलता फिरता केलकुलेटर कहते थे क्योंकि उनका हिसाब किताब बहुत पक्का था। गणित के मास्टर थे। और सभी भाषाओं के वह बहुत ज्ञानी और विद्वान इंसान थे। उनके बुक्स के कलेक्शन मेंअरबी फारसी उर्दू हिंदी इंग्लिश और मैथ्स सबसे लगती सभी तरह की बुक्स थी ।और वह सभी बुक्स को पढ़ते थे। और बहुत ज्ञानी थे ।करीब 5000 से ज्यादा किताबें थी उनके पास । और वह अपने टाइम टेबल बहुत पंक्चुअल थे कि सब उनकी मिसाल देते थे और बहुत ही ईमानदार इंसान थे ।

अपने उसूलों से कोई बांध छोड़ नहीं करते थे। जब उनको लेने गाड़ी आती तो हम बोलते हम को भी ले चलो हमको भी घुमा लाओ। पर वह बोलते अपनी तरह से आओ और घूम कर चले जाओ। 

अपने साथ कभी नहीं लेकर जाते थे। ऐसे तो बहुत सारे उदाहरण हैं। उस समय हम बहुत छोटे बच्चे थे।

1965 में जिस समय पाकिस्तान का हमला हुआ था जोधपुर पर उसी दिन उनकी डेथ हुई थी। उनकी डेथ से पहले उन्होंने सारा हिसाब किताब जो भी उनके पास में था राज महल का वह सब उनको संभला दिया। और सारे पेपर वगैरा सब उनको दे दिए। जब वह लोग बोले कि आप कल तो आएंगे भंडारी साहब। फिर यह सब क्यों दे रहे हैं। मगर उन्होंने इस बात को हंसकर टाल दिया ।फिर वह घर आए। वह एक पाव से पैरालाइज थे। हमेशा लकड़ी रखनी पड़ती थी। उनके घर आने के बाद उनकी बहन वगैरह घर पर आए हुए थे ।उनको बोला तुम अभी अपने घर चले जाओ।

और उनको जबरदस्ती भेज दिया। मेरी नानी जी और मामा जी ,मामी जी को बोलते हैं तुम लोग ऊपर छत पर जाकर सो जाओ।

नानी जी हमेशा रूम में सोती थी क्योंकि रात को कोई प्रॉब्लम हो तो पर नाना जी ने जबरदस्ती उनको भी छत पर सोने भेज दिया।

उसके बाद उन्होंने जो उनके रूम में दरी बिछी हुई थी उसको पूरा लपेटा साइड से, और जमीन पर खुद के लेटने जैसी जगह करी। अपने शरीर के कपड़ों में से खाली एक बनियान और एक धोती रहने दिया और जमीन पर जाकर के एकदम सीधे काऊसज्ञ मुद्रा में लेट गए और उनका देहांत हो गया। यह सब उनको पहले ही पता लग गया था ऐसा लगता है ।तभी उन्होंने इतनी सारी तैयारी करी ,और सारी अपनी जवाबदारीओं से मुक्ति पाई ,और शांति से जमीन पर लेट कर के नवकार मंत्र की मुद्रा में अपने प्राण त्यागे। इस सब परिस्थिति को देखकर ऐसा लगता है कि उनको अपना भविष्य पता लग गया था। वे अपना भविष्य अंतिम समय जानते थे। और मैं अपने आपको  को बहुत खुशनसीब मानती हूं कि मैं उनकी दोहिती हूं।



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