अकबर और बीरबल
अकबर और बीरबल
दोस्तों हम सभी अकबर और बीरबल की कहानी बचपन से लेकर अब तक सुनते आए हैं। लेकिन मैं आज आपको नई तरह की अकबर बीरबल की कहानी सुनाऊंगा। हम सभी जानते हैं की बादशाह अकबर एक न्यायप्रिय राजा थे । बीरबल जो कि उनके सलाहकार थे , बहुत ही बुद्धिमान थे। लेकिन जरा सोचिए अगर ऐसा होता कि बादशाह अकबर एकदम ढीले ढाले राजा होते और बीरबल एक नंबर के आलसी होते तो हाल क्या होता। )
बादशाह अकबर एक दिन बीरबल से कहते है। अरे भाई बीरबल जरा बाहर जाकर पता कर के आओ की बारिश हो रही है क्या? अलसी बीरबल का जवाब होता, हुजूर अभी-अभी यह बिल्ली बाहर से आई है। इस पर हाथ फेर कर देख लीजिए। अगर यह गीली है तो बारिश हो रही है, समझ लीजिए और सूखी है तो मतलब बारिश नहीं हो रही है अकबर बेचारे कुछ भी नहीं बोल पाते हैं।
अकबर अपने शयनकक्ष में चले जाते हैं। वहां उन्हें मच्छर परेशान करने लगते है । वे फिर बीरबल को आवाज देते हैं। बीरबल जल्द जाकर मच्छरों का सफाया करो। यह हमें परेशान कर रहे हैं! बीरबल अंदर आकर हवा में हाथ घुमाते है। कुछ देर बाद बादशाह अकबर फिर कहते है । बीरबल देखो यह मच्छर आवाज कर रहे हैं । हमने तुम्हें इन्हें मारने को बोला, तुमने मारे नहीं । बीरबल यही कहते हुजूर मैंने तो मच्छरों को कब का मार दिया अब तो यह उनकी बेवाए हैं जो रो-रोकर मातम मना रही है!
अंत में बादशाह अकबर बीरबल से कहते हैं कि चलो हमारा शयनकक्ष का दरवाजा बंद करो हम सो रहे हैं। आलसी बीरबल यहां भी अपनी हरकतों से बाज नही आते हैं और कहते है। हुजूर मुझ पर कुछ तो रहम कीजिए । दो काम मैंने कर लिये एक तो आप खुद कर लीजिए।
