अजीब लोग
अजीब लोग


"माई... गौरी रोटी खाने क्यों नहीं आई।
माई बताओ ना... देखो डेढ़ बज गए।"
"मुझे नहीं पता! तू खाना खा ले।"
"पर क्यूँ नहीं आई आज, रोज आती है!
मुझे ठीक नहीं लग रहा कुछ तो होगा।"
"आगे किसी घर में रोटी मिल गई होगी।"
"वो माई हमारे यहाँ ही खाती है।"
"अरे! तू खा ले, वो आए तो दे देना।"
नन्हा मोती खाना खाने बैठ गया और आँखें दरवाज़े पे
टिकाए रखी ताकी गौरी आए तो उन्हें रोटी दे सके।
थोड़ी देर में कमला पड़ोसन आई और कहने लगी कि,
"सुबह क़त्लखाने में गौरी का क़त्ल कर दिया और
बाद में उनका गोश्त बेच रहे थे तो पकड़ा गए!"
सिर्फ सात साल के मोती के मुँह से इतना सुनकर
निवाला न उतरा और माई के हाथ से बर्तन गिर गए।
थोड़ी देर में माई चिल्ला चिल्ला के रोने लगी।
मोती उसी मुद्रा में बैठे रहा और हिल भी नहीं रहा था।
कमला ये सब देख के दंग रह गई और मन में बड़बड़ाई,
"एक अबोल पशु के लिए इतना प्रेम! अजीब लोग है।"