अदृश्य दुपट्टा
अदृश्य दुपट्टा
अदृश्य होना यानि गायब होना। है तो ये एक कोरी कल्पना पर क्या भरोसा हमारे वैज्ञानिक कोई ऐसा यंत्र सच में बना दे जिससे अदृश्य हो सके। भई उम्मीद पे दुनिया कायम है
" अरे ये कैसा दुपट्टा है मेंरी अलमारी में कैसे आया। !" टिन्नी अपनी अलमारी में झांकते हुए खुद से बोली।
" माँ देखो ये कितना प्यारा दुपट्टा है। इसे आप लाई थी क्या?" टिन्नी दुपट्टा पहन अपनी माँ से बोली।
" कौन सा दुपट्टा और तू कहाँ से बोल रही दिख तो नही रही!" माँ बोली।
" अरे माँ क्या आप भी सामने तो खड़ी हूँ आपके दुपट्टा ओढ़े!" टिन्नी बोली।
" टिन्नी मजाक बन्द कर बहुत काम है मुझे छुप कर यू सताना छोड़!" ये बोल माँ रसोई में चली गई।
" मैं माँ को कैसे नही दिखी कही ये अदृश्य दुपट्टा तो नही !" टिन्नी खुद से बोली।
अपने कमरे में आ उसने देखा वो शीशे में भी नज़र नही आ रही थी अब उसने दुपट्टा हटाया। तो नज़र आने लगी वो।
" हुरे ये तो सच में जादुई दुपट्टा है!" वो चिल्ला पड़ी।
अब क्या था 15 साल की टिन्नि ने घर भर की नाक में दम कर रखा। कभी बड़े भाई की किताबें छिपा देती। कभी दादी का चश्मा। कभी मम्मी को परेशान करती कभी दीदी को। कोई समझ नही पा रहा था ये हो क्या रहा। टिन्नी का बचपन से सपना था मशहुर होना। मतलब वो चाहती थी कुछ ऐसा करूँ के सब तरफ उसका नाम हो रेपोर्टर उसका इंटरव्यू ले
एक दिन रात के समय पड़ोस से आवाजे आ रही थी। टिन्नी की नींद खुली अचानक तो उसने खिड़की से देखा बाहर गुंडे से दिखने वाले लोग खड़े थे टिन्नी डर कर वहाँ से हट गई
अचानक उसे कुछ याद आया
दुपट्टा ओढ़ कर वो बाहर निकल आई। वो लोग किसी बच्चे को ले जा रहे थे। "अरे ये तो शर्मा अंकल का बेटा। गुल्लू है। मतलब ये लोग इसका अपहरण करने आये है। अंकल पर कितना पैसा है मतलब ये अंकल से पैसा मांगेंगे और इन्होंने गुल्लू को नुक्सान पहुँचाया तो! " सोच कर टिन्नी कांप गई।
उसने जल्दी से उन लोगों की कार की चाभी निकाल ली।
" अरे चाभी कहाँ गई !" कार में बैठते ही एक बोला।
" अबे यहीं तो थी!" दूसरा बोला।
टिन्नी ने इतने बच्चे को छीन लिया। वो लोग बच्चे को उड़ता देख हैरान बच्चा इस छीना झपटी में जाग गया खुद को अंजान लोगों साथ देख रोने लगा टिन्नी ने सबको गाड़ी में बंद कर दिया और चाभी अपने पास रख ली फिर उसने दुपट्टा हटा शोर मचा दिया।
क्या हुआ क्या हुआ करते लोग इकठे हो गए
" शर्मा अंकल ये लोग गुल्लू को उठा कर ले जा रहे थे। !" टिन्नी ने कहा।
" बेटा तुमने अकेले इन सबको कैसे पकडा तुम तो बहुत बहादुर हो। !" शर्मा अंकल बोले।
तभी किसी ने पोलिस को फोन कर दिया। पोलिस आई और सबको पकड़ लिया हर तरफ टिन्नी की बहादुरी के चर्चे थे।
" हैलो क्या हम टिन्नी जी से बात कर रहे है!" कुछ दिन बाद अचानक एक फोन आया।
" जी मैं टिन्नी ही हूँ। बोलिये। ?"
" आपकी बहादुरी को देखते हुए 26 जनवरी को आपको राष्ट्पति जी से इनाम मिलेगा आप पहुँच जाना समय से!" सामने वाले ने कहा और फोन काट दिया।
टिन्नी ने ये बात सबको बताई सब बहुत खुश थे।
" अगला इनाम दिया जाता है मिस टिन्नी को जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बगैर अपराधियों से लोहा ले नन्हे बच्चे की जान बचाई पूरा देश टिन्नी जी की बहादुरी को सलाम करता है"
ये सुन जैसे ही टिन्नी उठी उसके चेहरा रोशनी से नहा गया। सब उसकी तस्वीर लेने लगे तभी
" टिन्नी उठ कबसे उठा रही!" माँ की आवाज़ सुनाई दी
" माँ मुझे इनाम तो लेने दो फिर मेंरा इंटरव्यू है!" टिन्नी बोली।
" इंटरव्यू बाद में देना स्कूल बस का टाइम हो गया!" माँ फिर बोली।
टिन्नी ने उठ कर देखा वो तो अपने कमरे में बेड पर है उफ्फ ये सपना था। मतलब वो अदृश्य दुपट्टा भी झूठा था
घडी पर निगाह पड़ते ही टिन्नी भागी।
