अध्यापक भी अभिभावक समान

अध्यापक भी अभिभावक समान

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कुहू का बेटा उदय बहुत ही शरारती, हाइपरएक्टिव एवं एनर्जी लेवल बहुत ज्यादा होने की वजह से कभी शांत बैठता ही नहीं था। हर वक्त क्या पाए क्या कर डाले। स्क्रू ड्राइवर लेकर हर चीज को खोलता तोड़ता रहता था। वह बहुत परेशान हो जाती थी उसके इस बर्ताव से। कूहू को समझ ही नहीं आता था कि बाकी बच्चों की तरह उदय हर काम को सही से क्यों नहीं करता। हर समय उसके स्कूल से भी शिकायत आती रहती थी। ऐसा नहीं था कि उदय दिमाग का तेज नहीं था, उदय बहुत तेज दिमाग वाला बच्चा था, जो भी उसको पढ़ाओ और पढ़ के सुनाओ उसके दिमाग में छप जाता था उसके बावजूद वह क्लास में अच्छा नहीं कर पा रहा था और उसकी वजह थी उसका हाइपरएक्टिव होना। उदय का दिमाग और शरीर स्थिर ही नहीं रहता था। क्लास में बच्चों को बहुत डिसिप्लिन से बैठना पड़ता था पर उदय से यह हो ही नहीं पाता था जिसकी वजह से उदय को हर समय पनिशमेंट मिलती ही रहती थी। उदय बहुत गुस्सैल और चिड़चिड़ा होता जा रहा था। वह बाकी बच्चों के आगे अपने को अपमानित महसूस करने लग गया था। अपनी क्लास टीचर पर तो उसे जरूरत से ज्यादा गुस्सा आने लग गई थी। वह हर एक ऐसी कोशिश करता था कि उसकी टीचर को और भी ज्यादा गुस्सा आए। जैसे उदय अपनी क्लास टीचर को गुस्सा देखकर मन ही मन खुशी मिलती है। अब तो उदय पर डांट का असर होना ही बंद हो गया था जैसे बेफिक्र हो गया था वो। उदय की टीचर्स मुझसे बात करते थे और मेरी परेशानी को समझते भी थे। कूहू उदय की इस परेशानी को इसी तरह झेलती रही और आखिरकार इसका हल उसने उदय की एक और टीचर के कहने पर और उनके सुझाव पर अमल करके उसने उदय को कई सारी हॉबी क्लासेस जॉइन करा दी  जिससे उसकी सारी एनर्जी वहां लगने लगी। उदय के ज्यादा से ज्यादा व्यस्त होने से शैतानियाँ में कुछ कमी आई। इसी तरह बड़ी मेहनत से कूहू अपने बच्चे का ध्यान रखती रही।

कूहू की सासू माँ हमेशा कुहू से कहती थी "देखो बेटा अपने बेटे की ख़ामियाँ कभी किसी बाहरवालों से मत कहो क्योंकि अगर एक बार ख़ामियाँ उजागर हो जाती हैं तो लोग उसकी अच्छाइयों को भी नज़रअंदाज़ करने लगते हैं, बाहर वाला कभी भी तुम्हारे बच्चे में कमी निकालें तो उससे कभी भी सहमत मत हो, उसकी बात को तुरंत नकार दो, पर उस सुनी हुई ख़ामियों के बारे में अपने बच्चों से अकेले में आकर बात करो और उन ख़ामियों को दूर करो। बाहर के लोगों से सिर्फ ख़ूबियाँ ही बतानी चाहिए। यह छोटी-छोटी बातें आपके बढ़ते बच्चे के व्यक्तित्व पर बहुत असर डालते हैं" कुहू ने हमेशा अपनी सासू माँ की इस बात पर अमल किया। 


उदय अब क्लास सेवंथ में आ गया था। कूहू के बहुत कोशिश करने पर पहले वह टॉप फाइव में रहा करता था। पर अब उसकी रैंक बहुत नीचे गिर गई थी। उदय का पढ़ने में मन कम लगता था पर बाकी की एक्टिविटी में वह बहुत तेज था जैसे डांस करना उसकी खास हॉबी थी स्पोर्ट्स में भी वह भाग लेने लगा और सफल भी हो रहा था। पर कूहू की कोशिशें कम नहीं हुई थी, कूहू ने अपने मन को समझा लिया था कि हर बच्चा पढ़ने में ही तेज नहीं होता बल्कि उनमें और भी ख़ूबियाँ होती हैं, और हम उनकी पढ़ाई के साथ-साथ अगर उन खूबियों को भी निखारें तो बच्चा बहुत आगे जा सकता है। इस बार उदय के सेवंथ क्लास की क्लास टीचर बहुत ही सख़्त महिला थी। यह टीचर पूरे स्कूल में गुस्सैल टीचर के नाम से प्रसिद्ध थी। इस बार की पैरंट टीचर मीटिंग का नोटिस जैसे ही उदय की डायरी में कूहू ने पढ़ा..मन ही मन बहुत चिंतित हो गई। क्या करूँ कैसे करूँ नई टीचर तो उसके बारे में जानती भी नहीं है। वैसे ही बहुत गुस्सैल है। खैर जाना तो था ही तो कूहू नियत समय पर स्कूल पहुंची।


क्लास में पहुंचते ही उसने टीचर को अभिवादन किया और अपनी जगह पर बैठ गई। बहुत सारे पेरेंट्स थे वहां पर जिनको देखकर कुहू मन ही मन संकोच में भर गई कि पता नहीं टीचर क्या बोलेंगे उदय के बारे में। जैसे ही उदय कपूर का नाम टीचर ने पुकारा तो कूहू उठकर आगे आई और टीचर के सामने बैठ गई ।

"ओह तो आप है उदय की मम्मी....

"जी मैडम....

"कैसा जंगली बच्चा है आपका, कैसे माहौल में आपने उसको पाला है ...किसी चीज में तेज नहीं है हर एक टीचर उसकी शिकायतें करती है, उसको सिर्फ शैतानी ही आती है। पता नहीं आप पेरेंट्स किस तरह से अपने बच्चों की देखभाल करते हैं और उनको कैसे गंदे माहौल में पालते हैं कि बच्चे ऐसे जानवरों जैसा व्यवहार करता है, आप लोग खुद अपने घर की परवरिश और माहौल का ध्यान नहीं रखते और आकर स्कूल में टीचरों के ऊपर इल्जाम लगाते हैं, ऐसे बच्चे को किसी स्कूल में एडमिशन ही नहीं मिलना चाहिए ..

इतना सुनते ही कूहू की आँखों में आँसू आ गए...शर्मिंदगी और गुस्से से वह भर उठी ....खुद को सब पेरेंट्स के आगे अपमानित महसूस करते ही तिलमिला उठी और टीचर से बोली..

"एक मिनट मैडम माफ़ कीजिएगा पर मैं आपकी बातों से बिल्कुल सहमत नहीं, पहली बात तो यह कि यहां आप स्कूल में सिर्फ एक अध्यापिका है, आप किसी भी बच्चे के घर के माहौल पर उंगली कैसे उठा सकती हैं ... मैडम गुरु को भी माँ और पिता का ही दर्जा दिया गया है। कोई भी बच्चा अपने पेरेंट्स ज्यादा अपने टीचर के साथ समय व्यतीत करता है तो टीचर की भी नैतिक दायित्व बनता है बच्चे का उज्जवल भविष्य बनाने के लिए। जितना वक्त उदय घर पर बिताता है उससे ज्यादा वक्त वह स्कूल और स्कूल के बाद मिले हुए यहां के काम को पूरा करने में बिताता है। और आप उंगली उठा रही हैं घर के माहौल पर। कोई भी माँ नहीं चाहेगी कि उसका बच्चा शैतान हो और वह अपने बच्चे को उज्जवल भविष्य देने की कोशिश करेंगी। पर यहां तो कमी आपकी है क्योंकि आप अपनी जिम्मेदारी नहीं समझती, आप चाहती हैं कि सारे बच्चे फर्स्ट बैंच वाले हो, पर यह कहां संभव है मैडम, कोई फर्स्ट आएगा तो कोई लास्ट भी आएगा, एक टीचर की असल मेहनत तो लास्ट बेंच पर बैठने वाले बच्चे के साथ होती है, जो की मैडम आप करना नहीं चाहती हैं। और दोष आप पेरेंट्स पर लगाती हैं। यह तो वही बात हो गई कि आप को पका पकाया खाना प्लेट में मिल जाए बनाने की जरूरत ही ना पड़े। बच्चे शरारत नहीं करेंगे तो क्या हम बड़े शरारत करेंगे। अगर आपका खुद का बच्चा ऐसे ही होता तो क्या तब भी आप ऐसे ही बोलती या ऐसे शब्द सुनाती जो आज आपने मेरे लिए बोले हैं । 


मैडम ! आइंदा से इस बात का ध्यान रखिएगा। आप कोई नहीं होती किसी स्कूल में इसे एडमिशन देने या ना देने वाली आप इस स्कूल में जॉब कर रही हैं तो पहले अपनी जॉब को पूरी ईमानदारी से करिए। हमारे जीवन में टीचरों का एक बहुत महत्वपूर्ण स्थान होता है और फिर उदय तो अभी छोटा है आपके इस तरह के बर्ताव और आपकी इस तरह की बोली से उसके मन मस्तिष्क पर क्या असर पड़ेगा। कभी आपने सोचा है वह आप से जुड़ी हुई क्या यादें लेकर बड़ा होगा..मैडम वह कड़वी यादें लेकर बड़ा होगा और टीचरों की इज़्ज़त करना भी छोड़ देगा। बच्चे हों या बड़े हर किसी को अपनी तारीफ सुनना बहुत पसंद होता है और अपनी तारीफ सुनकर खुश ही होता है, आपने कभी भी किसी भी चीज़ में उसकी तारीफ करी है सिवाय उसकी ग़लतियाँ गिनाने के। और जरूरी तो नहीं सारे बच्चे पढ़ाई में ही तेज हो बहुत से बच्चे अलग-अलग चीजों में तेज होते हैं, कभी भी आपने उसे किसी और एक्टिविटी के लिए प्रोत्साहन नहीं दिया, बल्कि हर समय सारे बच्चों के सामने आप उसे डांटते ही रहती हैं जंगली बोलती हैं उसे, आप सोचिए उस बच्चे के मन में कुंठा पनपती जा रही है टीचर्स के लिए जो बिल्कुल सही नहीं है। मैडम अगर आपको मेरे बच्चे और मेरी परवरिश पर शिकायत है, तो मुझे भी आपके इस व्यवहार से शिकायत है। 


इतना बोल कर कूहू उठी और उन्हें नमस्कार करके क्लास रूम से बाहर आ गई। बाहर आते ही उदय उससे चिपक गया और बोला "सॉरी मम्मी आपको मेरी वजह से रोना पड़ा।" तभी दो-तीन पेरेंट्स आए और कूहू से बोले, "आपने बिल्कुल सही बोला कूहू जी, मैडम की तो बोलती ही बंद हो गई आज, क्योंकि आज तक उनसे किसी भी पेरेंट्स ने ऐसे बात नहीं करी इसीलिए वह अपनी मनमानी करती रहती थी। और आज आपकी बातों से शायद वह सोचने पर भी मजबूर हो जाएंगे कि उन्होंने क्या गलत किया है और क्या सही किया है। "

कूहू सबको शुक्रिया बोलकर और बेटे का हाथ पकड़कर गर्व से घर वापस जाने के लिए निकल पड़ी  


उस वाक्ये के बाद से उदय तो अपने जीवन में काफी आगे बढ़ गया, काफी सारी एक्टिविटी में उसने अपना नाम बनाया, साथ ही उसकी उन क्लास टीचर ने अपने आपको पूरी तरह से बदल दिया। सभी बच्चों से घुलने मिलने की कोशिश करने लग गई और आगे जाकर अपने कार्य में सफल भी हुई। 

दोस्तों यह सिर्फ कहानी नहीं है यह सत्य घटना पर आधारित वाक्या है जो मेरे किसी करीबी के साथ घटित हुआ था।



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