आवाज़

आवाज़

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सब घरों से बाहर निकल आए। आवाज़ थी ही इतनी ज़ोरदार कि कोई उसे अनसुना कर ही नहीं सकता था।

ऐसा लगता था जैसे कहीं कोई पहाड़ टूट पड़ा हो। सब आकाश की ओर देखने लगे। लेकिन आसमान में न तो कोई बादल था, और न ही बिजली। बारिश की भी कोई संभावना नहीं थी।

गिलहरी बोलीलगता है ये तो किसी ने पेड़ों पर से कौवे उड़ाने के लिए बंदूक का धमाका किया है।

तभी छोटी मेंढकी अपने पंजे से सिर खुजाते हुए बोल पड़ीअरे, कौवों को क्यों उड़ा दिया,अब सारे में कांव कांव करते हुए उड़ते फिरेंगे।

एकाएक कबूतर बोला अरे देखो, सामने से कितनी मधुर आवाज आ रही है ? ध्यान से सुनो, ऐसा लगता है जैसे कोई गिटार या वॉयलिन बजा रहा हो।

सबने उधर देखा।सचमुच सामने एक कार आकर अभी अभी रुकी थी और उसमें से श्रीहान और सुयश उतर कर घर के भीतर जा रहे थे। सुयश के हाथ में एक गिटार था और श्रीहान के हाथ में बैट। वे दोनों म्यूज़िक की क्लास में से आ रहे थे और उन्हें तुरंत ही वापस खेलने के लिए जाना था।

उनके आते ही सब झटपट चुप होकर इधर उधर खिसक गए थे पर अब वापस आकर गार्डन में इकट्ठे हो गए। मेंढकी ने कहा मगर एक बात समझ में नहीं आई! सुयश तो गिटार को हाथ में लेकर जा रहा था, फ़िर ये गिटार बजने की आवाज़ कहां से आई ?

हो सकता है कि उसने एक हाथ से गिटार पकड़ रखा हो और दूसरे से उसे बजाता हुआ जा रहा हो। कबूतर बोला।

नहीं नहीं, बजा नहीं रहा था, मैंने देखा था,दूसरे हाथ से तो वो चॉकलेट खाता हुआ जा रहा था। गिलहरी ने मुंह पर जीभ फेरते हुए कहा।

तो फिर वो बज कैसे रहा था ? मेंढकी उछली। शायद श्रीहान बजा रहा हो !

अरे नहीं नहीं,वो तो बैट बॉल से खेलता हुआ जा रहा था। कबूतर बोला।

तभी उन सब ने देखा कि सुयश ने अपनी साइकिल से टिका कर गिटार को रख दिया और अन्दर की तरफ़ भाग गया।

उन दोनों के घर के अंदर जाते ही सब मित्र दौड़ते हुए साइकिल के पास चले आए और गिटार को नज़दीक से देखने लगे।

ये क्या ? गिटार में से तो अब भी बजने की आवाज़ आ रही थी। ये कैसा जादू ? गिटार अपने आप कैसे बजने लगा ? सब हैरान थे।

अभी सब अचंभे से देख ही रहे थे कि एकाएक किसी के हंसने की आवाज़ आई। और सब मित्रों ने देखा कि मंगल ग्रह के जुगनू ए और वन गिटार के तार में से निकल कर सामने आ गए।

अरे, तुम लोग कब आए ? कहते हुए सब ताली बजाकर खुशी से उछलने लगे।

दोनों मेहमानों ने बताया कि वे आकाश के बादलों की गड़गड़ाहट की आवाज़ के साथ आ ही रहे थे कि अचानक उन्हें सुयश के हाथ में गिटार दिख गया और वे गिटार के तार पर झूलते हुए यहां तक आ पहुंचे।

मंगल ग्रह के जुगनू हर साल इसी मौसम में यहां आया करते थे।

उनके आने पर इस परिसर में रहने वाले ये सब दोस्त कबूतर, छिपकली, मेंढक, गिलहरी, कोक्रोच, तितली आदि बहुत खुश होते थे और उन्हें धरती पर घुमाया फिराया करते थे।

जुगनू भी उनसे बहुत कुछ सीखते और श्रीहान व सुयश का जन्मदिन मनाने के बाद वापस अपने ग्रह पर लौट जाते थे।

धरती से कई प्राणी उनके साथ मंगल ग्रह पर जाने की भी कोशिश करते थे पर बाद में अपनी प्यारी धरती को याद करके जाने का इरादा छोड़ देते थे।

इन दिनों श्रीहान और सुयश एक कार्यक्रम की तैयारी में लगे हुए थे जिसमें सुयश डांस करने वाला था और श्रीहान एक्टिंग करने वाला था। वो दोनों स्कूल से आते ही समारोह की तैयारी में जुट जाते और जुगनू अपने सब दोस्तों के साथ खिड़की से उन्हें देख कर ताली बजा बजाकर आनन्द लिया करते थे।

उनकी ताली की आवाज़ इतनी मंद होती थी कि किसी को पता भी नहीं चलता और कोई डिस्टर्ब भी नहीं होता था।

गिलहरी बोल पड़ीचलो,जब इनका प्रोग्राम होगा,तब हम सब लोग भी देखने चलेंगे,अभी हम सब बाहर चल कर खेलते हैं।

सब दोस्तों के साथ जुगनू ए और वन भी आ गए।

बाहर बहुत अच्छा मौसम था। मेंढकी बोल पड़ी देखोदेखो, डांस तो मुझे भी आता है,अगर कोई गाना गाए तो मैं भी नाच दिखा सकती हूं।

जुगनू बोलाक्या गानेबजाने से ही नाच होता है ? कोई चुपचाप नहीं नाच सकता ?

गिलहरी ने समझायादेखो, गाने से मधुर आवाज़ होती है, जिससे हवा में लय और राग के साथ तरंगें उठने लगती हैं, और इन तरंगों के कम्पन से पैर अपने आप थिरकने लगते हैं।

अरे वाह! तू तो डांस टीचर बन गई! कबूतर ने गिलहरी से कहा।

जुगनू ने हैरानी से कहाइसका मतलब ये हुआ कि सारा खेल आवाज़ का ही है!

दूसरा जुगनू वन मायूसी से बोलाहमारे ग्रह पर तो कोई गाने वाला है ही नहीं,तो नाच भी नहीं हो सकता।

तभी कहीं से रेंगती हुई छिपकली भी वहां चली आई। आते ही उसने कहामुझे अपने साथ ले चलो तुम मंगल ग्रह पर, मुझे तो आवाज़ बिल्कुल पसंद नहीं है, मैं तो चुप्पी ही पसंद करती हूं।

हां हां,तू तो चुप्पी पसंद करेगी ही, बोलने से कीड़े मकोड़े उड़ जाते हैं, और तू उन्हें ही तो दिनभर चट करती रहती है। मेंढकी ने कहा।

तो तू कौनसी कम है,तू तो हवा में उड़ते हुए कीड़े मकोड़े भी लपक कर खा जाती है। छिपकली बोली।उसे गुस्सा आ रहा था कि मेंढकी मेहमानों के सामने उसकी बेइज्जती कर रही थी।

ओहो,दोनों चुप हो जाओ। गिलहरी ने डांट लगाई।

जुगनू ए ने धीरे से कहाअच्छा, झगड़ा करने के लिए भी आवाज़ काम में आती है ?

तभी सड़क पर से एक लालाजी गुज़रे। सब चुप होकर खड़े हो गए।

लालाजी ने चलतेचलते रुक कर अपने पेट से एक आवाज़ निकाली, और आगे बढ़ गए।

मेंढकी ज़ोर से हंस पड़ी।

कबूतर ने कहाइसमें हंसने की क्या बात है, बेचारे लालाजी को खाना खाते ही दुकान पर जाना पड़ता है,तो खाना पचाने का समय ही नहीं मिलता। पेट में गैस हो गई।

गिलहरी जुगनुओं से बोल पड़ीदेखा तुमने, आवाज़ संदेश देने का काम भी करती है। उसने लालाजी के पेट से बाहर आकर बता दिया कि वहां गैस है।

सब हंस पड़े।

जुगनू वन ने पूछासुयश और श्रीहान बोल रहे थे कि उनका प्रोग्राम देखने बहुत सारे लोग आयेंगे! तो जब कोई बोलता है तो एकसाथ हज़ारों लोग उसकी बात कैसे सुन लेते हैं ?

गिलहरी ने समझायातब वो लोग माइक का प्रयोग करते हैं। माइक ऐसा यंत्र होता है जिसमें आवाज़ जाने से वो कई गुना होकर बाहर आती है। एक आदमी की आवाज़ को हज़ारों लोग आराम से सुन लेते हैं।

वाह! जुगनू एकसाथ बोल पड़े।

सभी दोस्त बातें करतेकरते बाज़ार के बीच निकल गए।

जुगनू ये देख कर हैरान थे कि यहां फल वाला ज़ोर ज़ोर से अपने फलों का नाम ले रहा है। यही नहीं, सब्ज़ी वाले अपनी दुकान पर रखी सब्ज़ियों का नाम चिल्लाचिल्ला कर बोल रहे हैं।

जुगनू ए से न रहा गया, वह पूछ बैठाये सब क्या है ?

गिलहरी ने समझायाये फल सब्ज़ी के व्यापारी हैं,अपना माल बेचने के लिए चिल्ला रहे हैं।

ओह,तो व्यापार भी आवाज़ से होता है यहां! जुगनू ए बोल पड़ा।

बिल्कुल। कबूतर बोला।

लेकिन फ़िर दुकानों पर रखे कपड़े और दूसरे सामान वाले लड़के क्यों नहीं चिल्ला रहे ? क्या इन्हें व्यापार नहीं करना ? जुगनू ने कहा।

अरे बुद्धू, करना क्यों नहीं! पर इनके पास रखा सामान जल्दी खराब होने वाला नहीं है न, फलसब्ज़ी तो खराब हो जाएंगे, इसलिए बेचारे जल्दी बेचने की कोशिश कर रहे हैं। मेंढकी ने अपना ज्ञान बघारा।

तभी सड़क पर बने घंटाघर ने ज़ोर से घंटा बजाया। हड़बड़ा कर गिलहरी बोलीअरे चलो, चलो,समय का ध्यान ही नहीं रहा। फ़िर वो जुगनू बंधुओं की ओर देख कर कहने लगीदेखा तुमने, आवाज़ समय बता कर भी सबको चेता देती है। जल्दी से चलो, श्रीहान और सुयश के प्रोग्राम का वक़्त हो गया। हम सब देखने चलते हैं।

सब एक साथ दौड़ पड़े।

मेंढकी ज़ोर से उछल कर बोलीअरे, हमारे पास समारोह में जाने के टिकट तो हैं ही नहीं, हम भीतर कैसे जाएंगे ?

कबूतर शांति से बोलाए, तुम वन का हाथ पकड़ो, अब तुम दोनों मेंढकी के कंधे पर बैठ जाओ,चलो मेंढकी रानी, अपने हाथ में छिपकली का हाथ लो।और अब तुम सब मेरे कंधे पर अा जाओ, मैं अभी उड़ाकर सबको खिड़की के रास्ते भीतर ले चलूंगा।

और मैं ? गिलहरी बोल पड़ी।

तुम कॉकरोच को साथ लेकर दरवाजे के नीचे से जाओ न! कहकर कबूतर सबको उड़ा ले गया।

अन्दर कार्यक्रम शुरू हो चुका था। बच्चे माइक पर गीत गा रहे थे।


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