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आधुनिकता की दौड़

आधुनिकता की दौड़

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दादा : "बेटा क्या जमाना आ गया घर टूट टूट जाते हैं।"


बेटा : "बदलाव समय के साथ आता ही है इसे रोका नहीं जा सकता।"


दादा : "हमारे समय में तलाक नहीं होते थे,"


बेटा : "परंतु आपके समय में शादी का वो अर्थ नहीं था जो आपके दादा के टाइम में था और हमारे टाइम में वो अर्थ नहीं है जो आपके समय में था ।" 


दादा : "अइसन है बेटा में ने तलाक होने के कारणों पर मंथन किया है और 10 पॉइंट निकले हैं।


बेटा : "अइसन है दादा तलाक संबंधी नियम हमारे नहीं आपके समय में बनाये गए थे इसीलिए यदि कुछ विचारणीय था तो आपको उस वक़्त विरोध करना चाहिए था । परंतु उस वक़्त आधुनिक दिखने के लिए आपने तलाक के पक्ष में बड़े बड़े भाषण दिए"


दादा : "अइसन क्या ?"


बेटा : "ठीक उसी तरह जैसे हम आज खुद को आधुनिक दिखाने के लिए मिलन्द के नंगा घूमने पर तालिया बजाते हैं ।"


 दादा : "तो क्या बुड्ढे होने पर तुम नंगा घूमने का विरोध करोगे ."


बेटा : "उस वक़्त आधुनिक दिखने की दौड़ से हम बाहर हो चुके होंगे तो कौन जाने उस वक़्त हम क्या करेंगे हो सकता है विरोध करें या हो सकता है ना करें लेकिन जो भी करेंगे उसके पीछे बहुत सारा अनुभव और सोच विचार जरूर होगा ।"


दादा : "तब तुम क्या करोगे."


बेटा : "कुछ नहीं हमारे कुछ करने का वक़्त गुजर चुका होगा । उस वक़्त हम सिर्फ 10 या 20 पॉइंट गिनवा सकेंगे ।"


दादा : "सही है उस वक़्त आधुनिकता की दौड़ कोई और लगा रहा होगा ।"


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