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01. आंकड़े बोलते है

01. आंकड़े बोलते है

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हाल ही में मुझे अपने गृहनगर जाने का अवसर मिला । कुछ दिन रुकना था इसीलिए गाड़ी धुलवाने और सर्विस करवाने के इरादे से एक नजदीकी सर्विस स्टेशन पर पहुंच गया । सर्विस स्टेशन पर भीड़ तो नहीं थी परंतु मेरी गाड़ी में बैटरी, वाशिंग, सर्विस आदि के कई काम थे इसीलिए 5 से 6 घंटे वही बैठना था । इस दौरान कई लोग आए और गए कुछ से बातचीत का अवसर भी मिला । ऐसे ही एक सज्जन जो अपनी गाड़ी धुलवाने अपने एक अन्य साथी के साथ आए थे उनकी वार्तालाप मेरे कानो में पड़ी ।


उनके वार्तालाप का मुख्य विषय था शहर में चलते हुए वेश्यावृति के ठिकाने । एक स्टेटमेंट जिसने मुझे उनकी बातो में दखल देने पर विवश किया वो यह था कि शहर में चार हजार (4000) से अधिक वेश्यावृति के ठिकाने है । अब मैंने उनसे पलट कर पूछ लिया की 4000 का आंकड़ा अविश्वसनीय है क्या आप यह नंबर पूरे विश्वास के साथ बता रहे है ।


जवाब में भाई साहब ने अपना परिचय पुलिस ऑफिसर के रूप में दिया । मैं इसका अर्थ यह निकलता हूं की वो भाई साहब कहना चाहते थे की हमारे पास 4000 ठिकाने से हफ्ता आता है ।यकीन ना करने का कोई कारण मुझे नहीं दिखा ।


शायद वो भाई साहब भी इसका वास्तविक व्याख्या करने में या तो असमर्थ थे या शायद जानबूझ कर करना नहीं चाहते थे । वैसे यह भी संभव है की वो कुछ कर ही नहीं सकते हो इसीलिए आंखें बंद कर रखी हो । परंतु मेरे लिए इसका आंकड़ों की व्याख्या मायने रखती है । सिर्फ आंकड़ों की व्याख्या मायने रखती है इससे मेरा कोई विशेष मत

लब ही नहीं को आंकड़े विनाशकारी है या सामान्य ।4000 ठिकाने का अर्थ है की शहर में 20000 से अधिक महिलाएं वैश्यवृति में शामिल है ।शहर की कुल आबादी है तकरीबन 5 लाख जिसमे से तकरीबन 2.5 लाख महिलाएं है और उनकी आयु होगी कुछ 0 से 80 वर्ष के बीच , वेश्यावृति योग्य महिलाएं यदि 15 से 35 वर्ष के बीच मान ली जाए तो तकरीबन 62500 महिलाएं वेश्यावृति योग्य मानी जा सकती है ।इसका अर्थ है की 62500 में से तकरीबन 20000 महिलाएं वेश्यावृति में शामिल है जोकि लगभग 30% बनता है । 


इन आंकड़ों पर यकीन करने का दिल नहीं कर रहा था । लेकिन तभी मुझे याद आया की हाल ही में हुए सर्वे के अनुसार 70 से 80% महिलाएं एक्स्ट्रा मैरिटल रिलेशन बनाने के लिए उत्सुक है । अब यदि बड़े शहर में 70 से 80% महिलाएं है तो एक छोटे शहर में 30% होना स्वाभाविक ही है । इसके अलावा गुजरात के फोरेंसिक लैब डी एन ए टेस्ट द्वारा साबित कर चुकी है की तकरीबन 98% मामले में निर्दोष प्रेमी वास्तव में बच्चे के वास्तविक पिता है । ऐसे में आंकड़ों पर यकीन ना करने का कोई कारण कम से कम मुझे दिखाई नहीं देता ।


शायद इसीलिए वर्तमान में महिलाओं को सबसे मुख्य डिमांड है की पति के साथ संबंध को बलात्कार की श्रेणी में शामिल किया जाए और इस मामले में कोर्ट में लड़ाई जारी है । मैरिटल रेप के मामले में महिलाओं का समर्थन या खामोश समर्थन सिर्फ बोलते आंकड़ों को मजबूती के साथ सत्यापित करता है ।


इन आंकड़ों पर यकीन करने का दिल नहीं कर रहा था ।


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