अपने हैं यहां जो आज अजनबी भी वही हैं।
एक परायी स्त्री को वह कैसे बर्दास्त कर पाती। आज वह अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही थी उस
अब हम लड़कियाँ उनके बराबरी में काम जो करने लगे हैं। लेकिन आप लोग अभी भी वही। ...
जाई के पिताजी मना कर रहे थे यह बेजोड़ जोड़ा उन्हें पसंद नहीं था
काश हँसते हुए ही दम निकल जाता, ज़िंदा ही ज़िंदगी से गम निकल जाता।
पूरे बीस मिनट तक वो मेरे साथ थी; न उसने ज्यादा कुछ बोला न मैंने कुछ ज्यादा पूछा। बस यही कि "वक़्त कैसे गुजरता है?" मैंने...