बस प्यार कीजिए एक दिन तो वो आयगा ही और न भी आया तो क्या प्यार तो रहेगा ही।
यद्यपि सुनंदा जानती है कि इसके बाद चिपचिपे पसीने का एक नया दौर शुरू होगा पर उससे क्या ?
आज मैं घर से अपने साथ एक पौधा भी लेकर आया हूँ,इसे मैं स्कूल प्रांगन में लगाना चाहता हूँ
बेचारी अध्यापिका जिनकी सुरक्षा और अधिकारों के लिए न कोई कानून है और न ही कोई आचार संहित
मैं उनका बेबस निराश चेहरा देखता रह गया। ज़िन्दगी का यह भी एक रूप मेरे सामने था।
किसी का इंतज़ार किए बिना भी हम अपनी जिंदगी आसानी के साथ जी सकते हैं।