यह है हमारा समाज है, जहाँ अपने बड़े-बूढ़ों की रेस्पेक्ट नहीं......।
.वह सोचता इससे बेहतर तो वह न आती तो ज्यादा बेहतर होता.छज्जा नीरस,हतासा, उदासी और इंतज़ार को झेलते झेलते गम से लटक गया.उसन...
यह एक काल्पनिक कहानी है इसका किसी जाती विशेष के साथ कोई सम्बन्ध नहीं है किसी भी इंसान की भावनाओ को ठेस पहुंचना मक़सद नह...
जी, हमें किसी को यूज करना ही तो नहीं आता। बस खुद को यूज करवाने में हम बड़े माहिर हैं। देखिए ना कितने और कितनी लोग। .....
वफ़ाई ने नमाज पूर्ण की। उसने देखा कि जीत झूले पर मौन बैठा था। वफ़ाई ने उस मौन को भंग करने की चेष्टा नहीं की।
अब और नहीं जीना इस दुखिया संसार में, अपने पास बुला लो, यहाँ कोई किसी का नहीं...? सब नाते-रिश्ते झूठे हैं।