हां सच ही कहा गया है कि जैसी करनी वैसी भरनी।
उसके दिल में प्रश्नों का भूचाल मचल रहा था जिसका जबाब उसके पास नहीं था।
हरीश मौन रह कर खुद को संभालने की कोशिश कर रहे थे।
उसकी आग बुझी तो नही पर उसको आगे बढ़ने की शक्ति देती गयी।
अपने रिश्ते का अपमान अब कभी बर्दाश्त नहीं करेगी।
"क्या है विदिशा दी ये -प्यार, इश्क़ या मोहब्बत ?"