लेखक : राजगुरू द. आगरकर अनुवाद : चारुमति रामदास
अर्जुन के सर पर हाथ फिराते हुए कंटाप जड़ा और कहा हे डूड डोनट बी सो फ़िल्मी। अंडर्स्टुड।
बेहोश हो जाता है। बाद में पुलिस पकड़ कर ले जाती है।
आज हम लोग अपने घरों में इज़्ज़त से दो वक़्त की रोटी खा पा रहे हैं...
हवा का जोरदार झोंका आया, मानो कह रहा हो अलविदा !
वह बच्चा अपनी माँ के हाथों से रोटी लेकर खुश था और उसकी माँ अपने बेटे का चेहरा देखकर पूरे दिन की थकान भुलाकर खुश थी।