"तुम खुद क्यों नहीं चली जाती..."
वहां एक गणेश जी का मंदिर था जो बहुत अद्भुत था।
वह हिमालय के मार्ग पर निकल पड़ा बिना किसी को बताए मगर उसकी आंखें नम हो रही थी।
इनके रिश्ते को परिवार व समाज से पहले ईश्वर का आशीर्वाद मिल गया था।
उस पत्थर रूपी भगवान को या फिर उस बेबस, लाचार, बेघर बूढ़े इंसान को।
यह कहानी मैं किसी के धर्म जाति और मज़हब को आहत पहुंचाने के लिए नहीं लिख रहा हूं।