मुझे अभी भी वो दिन याद है जब तुझे पहली दफा देखा था उस खिड़की की भीतर, और तब ही पहली दफा जाना भी था की इस जिस्म के भीतर दि...
मैंने उसको बहुत मना किया पर वो नहीं माना, यहाँ तक कि मैंने उसको ज्यादा किराये के पैसे ही देने चाहे पर उसने नहीं लिए, उसक...
अगल-बगल खड़े सभी लोग चना मास्टर को कृतघ्न भाव से देख रहे थे।
रेल की टिकट नहीं मिली तो बस में सफ़र करना पड़ा, मेरी सीट के बगल में एक मोटा थुल थुल लड़का बैठ गया जो पूरा मेरे कंधे पर बहार...
मैं ज्यादा कहानियाँ नहीं लिखतीं हूँ। हाँ जो भी लिखती हूं उसका जुड़ाव कहीं ना कहीं सत्य पर ही आधारित होता है।
मैंने सुबह ही सपना देखा की मैं बस से उतरने ही वाला था कि किसी ने मुझे धक्का दिया और मैं ज़मीन पर धम्म से गिर गया, पीछे म...