ये छोटी सी कहानी सब पढ़े ओर बताएँ की क्या नीरा सही है ?
मनोज का रोज रोज शराब पी कर आना , मंजरी के बुरा व्यवहार करना, कई कई दिन तक बात चित बंद रहना ये सब अब बर्दाश्त के बाहर हो ...
उनका घर अपनी दवाइयों वाली चिरपरिचित गंध के साथ उनकी प्रतीक्षा में वहीं खड़ा था।
अब नव्या के लिए शहान और शहान के लिए नव्या जीने लगी थी। ये था एक ऐसा रिश्ता जो इस संसार के सभी उसूलों, रस्मों से परे था।
माँ के कैन्सरग्रस्त होने की खबर सुन सीमा नौकरी छोड़ना चाहती थी, आर्थिक स्थिति समझाते हुए मैंने उसे मना किया पर उसके तर्क ...
शुचिता और कुशल के लिए तो यह एक बहुत बड़े इम्तेहान की घड़ी थी।