ऐसे ऐक्शन करवाये कि सभी ज़ोर से हंस पड़े व समां बांध दिया और सबको हंसते हुए देखकर मैं भी ज़ोर से हंस पड़ी
आज उसे लग रहा था कि इस भिखारी को तो भीख मिल जाती हो उसे चाहकर भी नहीं मिली ! वो भिखारी ख़ुश था और वो दुखी !
अपनी इच्छाओं के लिए टेडी की जरूरत नहीं पड़ी क्योंकि उसने खुश रहना और हर चीज को पॉजिटिव लेना सीख लिया था।
बाहर हो रहे शादी के बाद के ढोल -ढमम्के की आवाज में जगीरो का स्वर विलीन हो गया।
भोलूराम, भोलूराम की बीवी हमेशा खुश रहे, यही शिव से अरदास है।
आज भी मुझे उस आदमी की याद आती है कि कौन था वो ?