“इस देश के लाखों और विश्व भर के करोड़ों युवाओं की तरह बेरोजगार हूँ।”
वर्षा ने समस्या का सही कारण ढूंढा था, कैलाश ने उसे शाबासी देने के लिए उसकी पीठ थपथपाई।
मेरी हंसी में शरद पूर्णिमा के चांद की सचमुच कोई भूमिका नहीं थी।
मैंने चाचाजी को फोन कर विनम्रता से कह दिया कि मैं अपने काम से बहुत खुश हूँ।
बेटा मम्मी भगवान के घर चली गयी है
तिजोरी की चाभी मुझे दे दो, में सबके चार हिस्से बना लूंगी