हमें भी इनके साथ बस वैसे ही हमजोलियाँ निभाना है। हमें भी इनके साथ बस वैसे ही हमजोलियाँ निभाना है।
मन को छोटा न कर दुःख के ये पल तो मेहमान हैं! मन को छोटा न कर दुःख के ये पल तो मेहमान हैं!
कितना अजीब है न ये दुनिया का मेला। कितना अजीब है न ये दुनिया का मेला।
अब हमें लगता है कई वर्षों से मन के घोड़े थक गए हों संकल्प भी विफल हो गया स्थाई बैठकर। अब हमें लगता है कई वर्षों से मन के घोड़े थक गए हों संकल्प भी विफल हो गया स्था...