थे भाग्य में सौ पुत्र गांधारी धन्य हुई .. कर्म लेख कि ये गति थी कि वो भाग्यहीन हुई थे भाग्य में सौ पुत्र गांधारी धन्य हुई .. कर्म लेख कि ये गति थी कि वो...
उर प्रेम भाव से भरे हुए बोले गांगेय तुम्हारी जय। उर प्रेम भाव से भरे हुए बोले गांगेय तुम्हारी जय।