बेजान पत्थरों से बोलती, रूठती उन्हीं के कंधों पर रो देती थी बेजान पत्थरों से बोलती, रूठती उन्हीं के कंधों पर रो देती थी
हमारे खट्टे-मीठे लम्हों को अपने, सीने से लपेटे रहती है, एल्बम.. हमारे खट्टे-मीठे लम्हों को अपने, सीने से लपेटे रहती है, एल्बम..