पाकर मिट्टी की काया तू तो भ्रम में भरमाया पाकर मिट्टी की काया तू तो भ्रम में भरमाया
मन के तहखाने में उतर कर कभी देखना, कुछ बचपन की चंचलता चपलता दिखेगी, मन के तहखाने में उतर कर कभी देखना, कुछ बचपन की चंचलता चपलता दिखेगी,