तराजू के इन पलड़ों में सिमटी जिंदगी है, कौन सा पासा, कब भारी हो जाये। तराजू के इन पलड़ों में सिमटी जिंदगी है, कौन सा पासा, कब भारी हो जाये।
इस संतोष के साथ कि नहीं देखा उस दबे कुचले लोथड़े को। इस संतोष के साथ कि नहीं देखा उस दबे कुचले लोथड़े को।