प्रचुर समग्रियाँ देखकर हमें भूख कहाँ लगती है ? प्रचुर समग्रियाँ देखकर हमें भूख कहाँ लगती है ?
संचय की प्रवृत्ति के साथ, मैं प्रचुर कैसे हूँ, विचार निःशब्द हैं। संचय की प्रवृत्ति के साथ, मैं प्रचुर कैसे हूँ, विचार निःशब्द हैं।