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दोगला चरित्र अनजान अनुपम ये जहां दोगला है समाज का दोगला चरित्र यह अंधा स्वार्थ कहां ले जायेगा यह अत्यन्त भयावह होगा। मन में कुछ मुख में कुछ

Hindi दोगला Poems