दोगला चरित्र दोगला चरित्र
मतलब के जलवे, बिखरे पड़े है यहाँ हर कोई, अपना उल्लू, सीधा करता है यहाँ ज़मीन से, आसमान तक, होड़... मतलब के जलवे, बिखरे पड़े है यहाँ हर कोई, अपना उल्लू, सीधा करता है यहाँ ज़मी...
क्यों अपनी इन हरकतों से आखिर ये ज़माना बाज़ नहीं आता है। क्यों अपनी इन हरकतों से आखिर ये ज़माना बाज़ नहीं आता है।
कोलाहल अब है, श्वेत कपोत के गगन में, कोलाहल अब है, श्वेत कपोत के गगन में,