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Manisha Charakhwal

Others

1.0  

Manisha Charakhwal

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दोगला चरित्र

दोगला चरित्र

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मेरा एक विरोध,
और तुम्हारी बर्बरता,
दोनों ही अदर्श्य थे,
मगर अपरिचित नहीं,
कब तक छुपा सकते थे तुम,
अपना त्योरी चढ़ा माथा,
आखिर लोगों ने देख ही लिया,
तुम्हारा दोगला चरित्र,
तुम भले आदमी,
आखिर कैसे,
घर में आते ही,
राक्षस बन जाते 
और बाहर  भगवान,
ख़ैर.....


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