कभी बेटी कभी बहन कभी पत्नी ना जाने कितने रिश्तों को ढालती हूँ मैं! कभी बेटी कभी बहन कभी पत्नी ना जाने कितने रिश्तों को ढालती हूँ मैं!
मेरे नियम, कानून, दायरे मेरी शोखी मेरे अंदाज मेरे नियम, कानून, दायरे मेरी शोखी मेरे अंदाज