प्रिय भेंट हो, कैसे कहो? है प्रेम भी, ज़िद पर अड़ा। सह प्रीति के, अविचल खड़ा।। प्रिय भेंट हो, कैसे कहो? है प्रेम भी, ज़िद पर अड़ा। सह प्रीति के, अविचल खड़ा।...
इक वादे पे जान दिया करते थे, ऐसे भी लोग हुआ करते थे। इक वादे पे जान दिया करते थे, ऐसे भी लोग हुआ करते थे।
हम मनुष्य अपना वर्तमान और भविष्य सुसंगठित एवं सुरक्षित कर पाएँ हम मनुष्य अपना वर्तमान और भविष्य सुसंगठित एवं सुरक्षित कर पाएँ