मैं हाथ जोड़ तेरे द्वार खड़ा असमंजस में हूँ पड़ा, मैं दोराहे पर हूँ खड़ा, कब तक रहूँ मै मैं हाथ जोड़ तेरे द्वार खड़ा असमंजस में हूँ पड़ा, मैं दोराहे पर हूँ खड़ा, ...
क्या गदा कौमोदकी कर में सुशोभित ही रहेगी? या किसी व्यभिचार के विपरीतता में भी उठेगी? अब तुम्हारा र... क्या गदा कौमोदकी कर में सुशोभित ही रहेगी? या किसी व्यभिचार के विपरीतता में भी उ...