तकरीरें बाकी थी तमाम, सर हिलाना, कबूल- ए- गुनाह हो गया। तकरीरें बाकी थी तमाम, सर हिलाना, कबूल- ए- गुनाह हो गया।
आशियाने को किसी के तफ़रीह में जला डाला। आशियाने को किसी के तफ़रीह में जला डाला।
चार दिन की चांदनी रातों, के बाद अमावस्या आनी। चार दिन की चांदनी रातों, के बाद अमावस्या आनी।