आज फिर वक्त रेत की तरह फिसल गया और आज फिर सपने आँसू की तरह बह गए । आज फिर वक्त रेत की तरह फिसल गया और आज फिर सपने आँसू की तरह बह गए ।
वो चेहरा जिस को तुमने मान समझा वो चेहरा जिस को तुमने जान समझा वही चेहरा कि जिस के वास्ते तुम ख़ुद अपन... वो चेहरा जिस को तुमने मान समझा वो चेहरा जिस को तुमने जान समझा वही चेहरा कि जिस क...
इक दिन बचपन के सारे शौक मजबूरियों के हाथ बिक कर ख़ुदकुशी कर लेते हैं... इक दिन बचपन के सारे शौक मजबूरियों के हाथ बिक कर ख़ुदकुशी कर लेते हैं...
बहुत ही चोट वो खाई होगी। बहुत ही चोट वो खाई होगी।