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छल भेदभाव रचना अधिकार मानवता प्रणाम ज्ञान मनुज अच्छी कविता समाज तलाश शिखर रास्ता व्यर्थ नेतृत्व पारितोषिक सपनों साथ दो आवाज का या क्रान्ति पुरूष बन जाओ स्वयम् बन्द कर मैं का झगडा एकत्र हो बन जाओ हम

Hindi क्रान्ति Poems