हँस रहा हूं, इन हरे-भरे जंगल मैं रह रहा हूं मैं कपटी मानव से बहुत दूर। हँस रहा हूं, इन हरे-भरे जंगल मैं रह रहा हूं मैं कपटी मानव से बहुत दूर।
पापी हूँ या कपटी हूँ जैसी भी हूँ तेरी हूँ घरबार छोड़कर मैं जीवन से खेली हूँ पापी हूँ या कपटी हूँ जैसी भी हूँ तेरी हूँ घरबार छोड़कर मैं जीवन से खेली हूँ