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Jayanta Janapriya Mahakur

Others

5.0  

Jayanta Janapriya Mahakur

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कोई अगर पूछे मेरा ठिकाना

कोई अगर पूछे मेरा ठिकाना

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कोई अगर पूछे मेरा ठिकाना

बोल देना उससे मैं वहां नहीं रहता।


चला गया हूं बहुत दूर, पता नहीं कहां

लौटना मैं नहीं चाहता हूं

कष्ट से भरे अतीत को।


कोई अगर पूछे मेरा ठिकाना

कह देना मैं रह रहा हूं 

हरी-भरी पहाड़ के नीचे।


नहीं है यहां कोई देने के लिए

थोड़ा सा भी कष्ट।


खेल रहा हूं, घूम रहा हूं,

हँस रहा हूं, इन हरी-भरी जंगल मैं

 रह रहा हूं मैं कपटी मानव से बहुत दूर।


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