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भाई मन समय सर्दी चिंता आंखें माता-पिता आरती कपकपी आराम राम-राम राम नाम की माला अँधेरे मुँह उठते ही करता हूँ चाँद और तारें भी जिंदगी को हमेशा एक परेशानियों की लहर सा मान बैठते है हम। उस विचार से बाहर निकल अगर हम देखें तो वह हमें बहुत कुछ सिखाती है। जीना सिखाती है। गिरकर उठने का साहस बंधाती है।

Hindi उठते-बैठते Poems