सदाक़त-परस्ती ने ना जाने कितनों को पहुँचाया दार पर सच का नाम ज़माने में यूँही बदनाम नहीं था सदाक़त-परस्ती ने ना जाने कितनों को पहुँचाया दार पर सच का नाम ज़माने में यूँही बदन...
जालिम रूठ जाता है कह के वजूद मेरा उसका इमकान है। जालिम रूठ जाता है कह के वजूद मेरा उसका इमकान है।