ठोकर खा के गिरने से सिर्फ आहत स्वाभिमान मेरा बचा। ठोकर खा के गिरने से सिर्फ आहत स्वाभिमान मेरा बचा।
तिनका-तिनका चुन, मन की तरंगों को क्रियात्मक रूप देना पड़ता है, दृढ़ निश्चय और उद्यम की लौ को हृदय में... तिनका-तिनका चुन, मन की तरंगों को क्रियात्मक रूप देना पड़ता है, दृढ़ निश्चय और उद्...