सात पुस्तें इसकी भुला न पाऐं गद्दार को ऐसी सजा मिले। सात पुस्तें इसकी भुला न पाऐं गद्दार को ऐसी सजा मिले।
हिंसा की है इंतेहा, अहिंसा भूल गए, के बाज़ार जाने से भी, डर रही हूँ मैं। कहीं बस जली, कहीं गोली ... हिंसा की है इंतेहा, अहिंसा भूल गए, के बाज़ार जाने से भी, डर रही हूँ मैं। कही...