वेदना का शूल गड़ता है, ये मेरा दुःख एक आवा है घड़ा मुझ में रोज गढ़ता है वेदना का शूल गड़ता है, ये मेरा दुःख एक आवा है घड़ा मुझ में रोज गढ़ता है
परिवर्तन है परिवर्तन है, उठो देखो नवजीवन है! परिवर्तन है परिवर्तन है, उठो देखो नवजीवन है!