STORYMIRROR

Kumar Kishan

Others

2  

Kumar Kishan

Others

यकीन नहीं होता

यकीन नहीं होता

1 min
235

यकीन नहीं होता

मैं लेखक कैसे बना हूँ?

बनना चाहता था अधिकारी

पर,कलम कैसे पकड़ लिया हूँ?


शायद यही लिखा था

और नियति को यही मंजूर था,

वरना प्रशासन और राजनीति

में रुचि रखने वाला को

साहित्य कब मंजूर था?


शायद यही होता है

हर किसी की जिंदगी में,

करना चाहते हैं और पर

अक्सर कुछ और हो

जाता है जिंदगी में।



Rate this content
Log in