"ये जिंदगी कुछ सिखा के गई"
"ये जिंदगी कुछ सिखा के गई"
कस रही है ताने ये जिंदगी
कि ऐ जिंदगी,
कि जो तूने तौहीन की है इस जिंदगी की,
उसकी अहमियत तो पता होनी चाहिए ।
जो सुनी नहीं कई जिंदगियों की चीज को ,
तो इस दर्द की कराह को झेलनी ही चाहिए ।
जो राह तूने खुद है चुने ,
बेशक उनमें तुम्हें चलने ही चाहिए ।
इंसानियत भूल जो दुष्कर्म है किए ,
उसके दर्द से परिचय तो होने ही चाहिए ।
खुदगर्जियों ने जो बांध दी थी आंख में पट्टियां
उनको थोड़ा सबक तो मिलना ही चाहिए ।
हमने की जो भी गलतियां,
उनकी सजा तो हमें मिलनी ही चाहिए ।
जो सुनी थी कहानियां मां-बाप से,
आज वो भी सच हो गई है ।
फैली हुई यह दुनिया की जनता ,
अब यूं ही सिमट कर रह गई है।
कुछ बता कर गई कुछ सिखा कर गई ,
हमें यह जिंदगी फिर कुछ समझा कर गई।
