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Anita Sudhir

Others

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Anita Sudhir

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यात्रा

यात्रा

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अपनी यात्रा का वृतांत सुनाती हूँ

अविरल,अविराम चलती जाती हूँ,

कहीं जन्मती ,कहीं जा समाती

मोक्षदायिनी गंगा कहलाती हूँ।


पूर्वज भागीरथ के, भस्म शाप से

तपस्या से लाये,मुक्त कराने पाप से ,

शंकर की जटाओं से उतरी धरा पर 

गंगोत्री हिमनद से चली मैदानों पर।


भागीरथी बन गोमुख से निकली,

कई पथगामी यात्रा में मिलते रहे,

ऊंचे नीचे पथरीले रास्तों में मिलन 

मेरे सफर को सुहाना करते रहे।


धौली,अलकनंदा मिलीं विष्णुप्रयाग में

नंदाकिनी,अलकनन्दा से नंदप्रयाग में

चलते जा मिली पिंडर से कर्णप्रयाग में

मन्दाकिनी देख रही रास्ता रुद्रप्रयाग में।


 ऋषिकेश के पहले देवप्रयाग में

अलकनंदा भागीरथी का संगम हुआ,

पवित्र पावनी बनी पंचप्रयाग में 

ये मनोरम दृश्य बड़ा विहंगम हुआ।


गढ़मुक्तेश्वर ,कानपुर हो पहुंची प्रयाग

यमुना सरस्वती से मिल जगे मेरे भाग।

वक्र रूप लिये जा पहुंची काशी

मिर्जापुर पटना से हुई पाकुर वासी।


सोन ,गंडक ,घाघरा कोसी सहगामिनी रहीं

भागलपुर से दक्षिणीमुख पथगामिनी रही,

मुर्शिदाबाद में बंटे,भागीरथी और पद्मा

देश बांगला अविरल बह चली  पद्मा।


हुगली तक मैं भागीरथी रही

मुहाने तक हुगली नदी कहलाई।

सुंदरबन डेल्टा,बंगाल की खाड़ी में समाई

कपिल मुनि के दर्शन करती

हिंदुओ का पवित्र तीर्थ गंगासागर कहलाई।


पूरा हुआ यात्रा वृत्तांत एक बात समझ न आई,

अपने पाप धोते रहे,मुझे मैला करते रहे ,

करोड़ों रुपयों खर्च कर भी सफाई अभी न हो पाई

जीवनदायिनी गंगा माँ हूँ, सबका जीवन हरषाई।


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