शायद आ जाए वो उसकी कब्र पे मिलने, मरकर भी न जाने वो कितनी बार जिया होगा...! शायद आ जाए वो उसकी कब्र पे मिलने, मरकर भी न जाने वो कितनी बार जिया होगा...!
आज भी तंग हैं बहुत, बहुत गम भी हैं जिस महफ़िल में हर शख्स अकेला होता है, जश्न मनाने उस महफ़िल में ... आज भी तंग हैं बहुत, बहुत गम भी हैं जिस महफ़िल में हर शख्स अकेला होता है, जश्न ...
मेरे मयकश अज़ीज़ दोस्तों के नाम एक मज्ज़हिया नज़्म पेश-ए-नज़र है. ग़लतियों को नज़रंदाज़ कीजिये, लुत्फ़ उठाइये... मेरे मयकश अज़ीज़ दोस्तों के नाम एक मज्ज़हिया नज़्म पेश-ए-नज़र है. ग़लतियों को नज़रंदाज़ ...