वर्तमान चल रहा है
वर्तमान चल रहा है
हर पल भूत में बीत रहा
भविष्य तेरे सामने खड़ा है
कर्म करो या चिंता करो तुम
वक्त तुमसे ये पूछ रहा है।।
कर्मफल पर अधिकार न तेरा
गीता में ये स्पष्ट कहा है
बस कर्म करना है तेरे वश में
क्यूँ मन उससे खीज रहा है।।
बदल न सकता भूतकाल को
परिणाम तो भविष्य के गर्त में पड़ा है
क्या होगा और कैसे होगा
बात बेवजह की क्यूँ सोच रहा है।।
जब होगा तब देखा जायेगा
वर्तमान तेरा चल रहा है
जो करना है आज ही कर ले
धीरे-धीरे वक़्त बीत रहा है।।
शुद्ध विचार और सुंदर सपने
लक्ष्य भी नजदीक खड़ा है
कर्म की तह में गोता लगा लो
नींव, उज्ज्वल भविष्य की सींच रहा है।।
गर्व करेगा वक़्त भी तुझपर,
जो वर्तमान में तू जी रहा है
कर्म ही ईश्वर कर्म ही पुजा
अच्छा है, जो चिंता-चिंतन में भी नहीं पड़ा है।।
कायम मुकाम तू ऐसा करेगा
जिसकी अभी तक न सोच सका है
हार-जीत तो आनी-जानी कर्म से
नए लक्ष्य की ऊँचाई को नाप रहा है।।