वक़्त
वक़्त
1 min
2.8K
आज कुछ दूरियाँ सिमट जाने दो
हमे फिर से शब्दों में ढल जाने दो
तुम और मैं एक होकर भी एक नहीं
हमको अपने दिल में उतर जाने दो
तुम्हें संग रहकर घूमना अच्छा लगता है
मुझे तो रिश्तों में बंध जाने दो
ये माना कि आज बस वक़्त तुम्हारा है
मगर मेरी कीमत भी लग जाने दो
सदा एक सा नहीं रहता वक़्त सबका
ये समय भी मेरा निकल जाने दो
