वो सुनहरे पल
वो सुनहरे पल
बहुत खूबसूरत पल
बिताया है, जिंदगी जिया मैंने,
मेरा मायका,
मेरी मां और पिता के साथ।
जो घरौंदा मेरी मां ने बनाया था
हम बहने हंसी ठिठोली करतीं,
घरोदे की रौनक थी
कंचन की तरह चमकती मां,
सुरेश के सिंहासन पर
स्मृति के उन पलों को याद कर
अंजलि कर जीवंत करना चाहती हूं
मेरी मां का घरौंदा
सर्वत्र सजी रहे अल्पना,
छोटा सा घरोंदा मेरी मां ने बनाया था
आज उनको नजरे ढूँढ़तीं।
घर के दोनो स्तंभ,
कहीं धूमिल से वोअब
आंसू है आंखो में,
रश्मि "बन चारो ओर फैले उनकी कीर्ति।
ऐ "नीर"मत बहो अब
अभी भी कहीं विराज है,
मेरी मां का घरौंदा।