विश्व हिंदी दिवस
विश्व हिंदी दिवस
"हिन्दी है अस्तित्व हमारा" ,गहन भाव ये बोल।
माथे पर की बिंदी जैसी, शुचिता ले अनमोल ।।
लिखी भक्ति मीरा की इसमें,लिखा प्रेम रसखान,
कबिरा के दोहों से सजती ,भाषा मातृ महान ।
प्रेमचंद जयशंकर करते ,हिंदी का गुणगान,
माखन,दिनकर महादेवी की ,कृतियां करें हिलोल।
माथे पर की बिंदी जैसी, शुचिता ले अनमोल ।।
हिन्दी है अस्तित्व हमारा" .....
देवनागरी भाषा अपनी,रचते छन्द सुजान ,
चुन चुन कर ये भाव सजाती ,हिन्दी है अभिमान।
मान विदेशी का करना है ,सँस्कृति की पहचान,
नहीं बदल पायेगा कोई ,भाषा का भूगोल ।
माथे पर की बिंदी जैसी, शुचिता ले अनमोल ।।
हिन्दी है अस्तित्व हमारा" .....
हिन्दी का वन्दन अभिनन्दन, हिन्दी हो अभियान,
एक दिवस में क्यों बाँधें हम ,हिन्दी हिन्दुस्तान।
रची बसी जीवन में रहती ,हिंदी है पहचान ,
मधुरम मीठी भाषा वाणी,रस देती है घोल ।
माथे पर की बिंदी जैसी, शुचिता ले अनमोल ।।
हिन्दी है अस्तित्व हमारा" .....
हिन्दी है अस्तित्व हमारा" ,गहन भाव ये बोल,
माथे पर की बिंदी जैसी, शुचिता ले अनमोल ।
