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Sandeep Kumar

Children Stories

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Sandeep Kumar

Children Stories

वह समय था कुछ और

वह समय था कुछ और

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भोर हुई तो आँखें खुली

चिड़िया मीठी बोली बोली

घर से बाहर निकलो प्यारे

देखो कितना जग है न्यारे।।


आसमान से सूरज निकला

खुले शब्दों में हमसे बोला

कुल्ला कर के आजा प्यारे

चाय नाश्ता कर जा न्यारे।।


दादी तब तक पिटारा खोली

कुछ कहानी कि बातें बोली

होली दीवाली ईद से लेकर

पुरानी कुछ यादें बोली।।


बोली पुराना समय था कुछ और

दोस्त ही दोस्त था चारों ओर

ना था झगड़ा झंझट किसी में

बंधु सहायक था हर ओर।।


शुद्ध हवा शुद्ध भोजन

पानी 100% प्योर

निरोग जीवन जीते थे

वह समय था कुछ और।।

वह समय था कुछ और।।



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