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Kumar Kishan

Children Stories

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Kumar Kishan

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उठो प्यारे लाल(बाल कविता)

उठो प्यारे लाल(बाल कविता)

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उठो प्यारे लाल

अब सुबह हो चुकी है

पंछियां चहचहा रही हैं

अब उठो प्यारे लाल

देखो प्यारी-प्यारी किरणें

जग को सुंदर बना रही हैं।


आलस त्याग कर सारे

काम पर जा चुके हैं

उठो प्यारे लाल

अब सुबह हो चुकी है

मुर्गा बांग दे चुका है।


कोयल रानी कुक रही है

कलियाँ सब खिल चुकी हैं

अब,तुम भी आलस त्यागों

उठो प्यारे लाल

अब सुबह हो चुकी है।


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