उसूल
उसूल
फिर चली रात
बात उसूलों की ,
शिक्षा के नाम पर
लूटते स्कूलों की ,
गरीबी के बोझ से दबा
बाप मजबूर है,
बेटे को निजी स्कूल में
पढ़ाने का दस्तूर है ,
सरकारी स्कूलों ने
शिक्षा परोसी नहीं है,
निजी स्कूलों में
धन पर लगाम नहीं है,
सरकारी का काम
बेकाम लुटाना है,
निजी का काम
कोल्हू का बैल बनाना है,
देश बनाने से पहले
उसूल जरूरी है,
विद्यालय में विद्या
होना जरूरी है,
"निशा" यह बीमारी है
घर-घर के दर्द की,
न तेरी न मेरी
बात यह है
सारे जहाँ के मर्ज की ।